चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट से लिया संन्यास

भारतीय क्रिकेट को एक और बड़ा झटका लगा है। महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ के बाद “भारतीय टेस्ट टीम की दीवार” कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी है। पुजारा न केवल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बल्कि पेशेवर घरेलू क्रिकेट में भी अब मैदान पर नजर नहीं आएंगे। पुजारा ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच जून 2023 में खेला था, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल था। दाएं हाथ के इस भरोसेमंद बल्लेबाज ने सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट लिखकर अपने रिटायरमेंट की घोषणा की।

“भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और हर बार मैदान पर कदम रखते ही अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करना – इसका असली मतलब शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। लेकिन जैसा कि कहते हैं, हर अच्छी चीज़ का अंत होता है, और अपार कृतज्ञता के साथ मैंने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का फैसला किया है। आप सभी के प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद।”

राजकोट से भारत की ‘दीवार’ बनने तक

37 वर्षीय पुजारा ने अपने नोट में लिखा कि, “एक छोटे से शहर राजकोट का बच्चा होकर मैं अपने माता-पिता के साथ सितारों को छूने का सपना लेकर निकला था। भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनना मेरा ख्वाब था। तब अंदाजा भी नहीं था कि यह खेल मुझे इतना कुछ देगा – अनमोल अवसर, अनुभव, उद्देश्य, प्यार और सबसे बढ़कर अपने राज्य और राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका।”

उन्होंने बीसीसीआई, सौराष्ट्र क्रिकेट संघ और उन सभी टीमों, फ्रेंचाइजियों व काउंटियों का आभार जताया जिनका वह हिस्सा रहे। साथ ही अपने मार्गदर्शकों, कोचों और आध्यात्मिक गुरु को भी धन्यवाद दिया।
पुजारा ने अपने साथी खिलाड़ियों, सपोर्ट स्टाफ, नेट गेंदबाजों, विश्लेषकों, लॉजिस्टिक्स टीम, अंपायरों, ग्राउंड स्टाफ, स्कोररों और मीडिया कर्मियों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर टीम को सफल बनाया।

शानदार करियर

चेतेश्वर पुजारा ने 2010 में भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया था। इसके बाद 13 साल लंबे करियर में उन्होंने भारत के लिए 103 टेस्ट मैच खेले और 7195 रन बनाए, जिसमें 19 शतक, 35 अर्धशतक और 3 दोहरे शतक शामिल हैं।
वनडे क्रिकेट में उन्होंने 5 मैच खेले लेकिन इसमें वह कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और कुल 15 रन ही बनाए। वहीं, टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में उन्हें कभी मौका नहीं मिला।

पुजारा की पहचान
पुजारा को उनकी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी, मजबूत तकनीक और टीम के लिए लंबे समय तक टिके रहने की क्षमता ने भारतीय क्रिकेट का अहम हिस्सा बनाया। राहुल द्रविड़ के बाद उन्हें अक्सर भारतीय टेस्ट टीम की “नई दीवार” कहा जाता रहा।
संन्यास के बाद पुजारा अब अपने परिवार को अधिक समय देंगे और जीवन के नए अध्याय की ओर बढ़ेंगे।

पढ़िए उनका लेटर

 

राजकोट जैसे छोटे शहर से आने वाला एक नन्हा बच्चा, अपने माता-पिता के साथ, सितारों तक पहुंचने का सपना लेकर चला था; और भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का सपना देखा था। उस समय मुझे अंदाजा भी नहीं था कि यह खेल मुझे इतना कुछ देगा – अनमोल अवसर, अनुभव, उद्देश्य, प्यार और सबसे बढ़कर अपने राज्य और इस महान राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका।
भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और हर बार मैदान पर पूरी ताक़त लगाना – यह सब शब्दों में बयां करना असंभव है। लेकिन जैसा कि कहा जाता है, हर अच्छी चीज़ का अंत होता है, और अपार कृतज्ञता के साथ मैंने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का निर्णय लिया है।
मैं बीसीसीआई और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ का धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने मुझे अवसर और समर्थन दिया। मैं सभी टीमों, फ्रेंचाइज़ियों और काउंटी क्रिकेट टीमों का भी आभारी हूँ जिनका प्रतिनिधित्व करने का अवसर मुझे मिला।
मैं यहाँ तक अपने गुरुओं, कोचों और आध्यात्मिक गुरु के अमूल्य मार्गदर्शन के बिना नहीं पहुँच पाता – मैं सदैव उनका ऋणी रहूँगा।
मेरे सभी साथी खिलाड़ियों, सपोर्ट स्टाफ, नेट गेंदबाजों, विश्लेषकों, लॉजिस्टिक्स टीम, अंपायरों, ग्राउंड स्टाफ, स्कोरर, मीडिया कर्मियों और उन सभी लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद, जिन्होंने परदे के पीछे रहकर अथक मेहनत की ताकि हम इस खेल को खेल सकें और इसका आनंद ले सकें।
अपने स्पॉन्सर्स, पार्टनर्स और मैनेजमेंट टीम का भी आभारी हूँ – आपकी वफ़ादारी और विश्वास ने मुझे हमेशा प्रेरित किया। मैदान से बाहर की जिम्मेदारियों का भी आपने ध्यान रखा, जिसके लिए धन्यवाद।
इस खेल ने मुझे दुनिया भर की जगहों तक पहुँचाया – और प्रशंसकों का समर्थन और ऊर्जा हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहे। जहाँ भी मैंने खेला हूँ, मुझे उनके प्यार और शुभकामनाओं ने विनम्र बनाया है और मैं हमेशा आभारी रहूँगा।
और निश्चित ही, यह सब कुछ मेरे परिवार के असीम बलिदानों और अटूट समर्थन के बिना संभव नहीं था – मेरे माता-पिता, मेरी पत्नी पूजा, मेरी बेटी अदिति, मेरे ससुराल पक्ष और पूरा विस्तृत परिवार – जिनकी वजह से यह यात्रा सार्थक हुई। अब मैं अपने जीवन के अगले चरण की ओर देख रहा हूँ, जहाँ मैं उनके साथ अधिक समय बिताऊँगा और उन्हें प्राथमिकता दूँगा।

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