मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद: हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज की, बड़ा झटका

  • कोर्ट का बड़ा फैसला: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में हिंदू पक्ष को झटका, शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की याचिका खारिज

मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा ऐतिहासिक और संवेदनशील मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बहुचर्चित विवाद में हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने और उसे हटाने की मांग की गई थी।

मुस्लिम पक्ष ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे सच्चाई और न्याय की जीत हुई है। शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा कि कोर्ट ने ऐतिहासिक तथ्यों और समझौतों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय दिया है।

क्या है पूरा मामला?

मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर यह विवाद कई वर्षों से चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि जहां आज शाही ईदगाह मस्जिद खड़ी है, वहीं पर भगवान श्रीकृष्ण का मूल जन्मस्थान था और मुगल काल में मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया। इस दावे के आधार पर कई संगठन और न्यास समय-समय पर न्यायालयों में याचिकाएँ दाखिल करते रहे हैं।

विवाद की जड़ में 1968 में हुए समझौते का भी ज़िक्र आता है, जिसके तहत जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह कमेटी ने कुछ जमीन का समझौता किया था। परंतु, बाद में हिंदू पक्ष के एक वर्ग ने इस समझौते को अवैध बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी।

याचिका में क्या कहा गया था?

ताज़ा याचिका श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दाखिल की गई थी। इसमें मांग की गई थी कि शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए और उसे जन्मभूमि क्षेत्र से हटाया जाए। याचिका में यह भी दावा किया गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मूल गर्भगृह को तोड़कर किया गया, जो हिंदुओं की आस्था पर सीधा आघात है।

कोर्ट ने क्या कहा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिका में पर्याप्त कानूनी आधार और ठोस प्रमाण नहीं हैं, जिनके आधार पर मस्जिद को विवादित घोषित किया जा सके। कोर्ट ने पहले हुए समझौतों और दस्तावेजों का भी हवाला दिया और स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ-साथ विधिक दृष्टि से ठोस दलीलें भी आवश्यक होती हैं।

आगे क्या हो सकता है?

कानूनी जानकारों का मानना है कि हिंदू पक्ष इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में मामला एक बार फिर से चर्चाओं में आ सकता है और कानूनी लड़ाई लंबी खिंच सकती है।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव

मथुरा का यह मामला धार्मिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। इसे अयोध्या विवाद से जोड़कर भी देखा जाता रहा है। हालांकि प्रशासन ने स्थिति पर कड़ी नजर रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी है ताकि किसी भी प्रकार का तनाव न बढ़े।

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