देहरादून, उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति पर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने आज एक पत्रकार वार्ता में चमोली-बागेश्वर प्रकरण का हवाला देते हुए राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को “वेंटिलेटर पर” बताया और कहा कि सैनिक के डेढ़ वर्षीय बेटे की इलाज के अभाव में हुई मौत राज्य के माथे पर कलंक है।
करण माहरा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सीमा पर तैनात एक सैनिक की पत्नी अपने बीमार बेटे को लेकर चमोली से बागेश्वर के पांच अस्पतालों में भटकी, लेकिन हर जगह से हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। अंततः हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने से बच्चे की मौत हो गई।
जिस राज्य में फौजियों के बच्चे इलाज के बिना दम तोड़ दें, वहां सरकार को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए. जिला अस्पताल अब सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं। डॉक्टर नहीं, दवाएं नहीं – यही कारण है कि आज भी पहाड़ से पलायन जारी है।”
– करण माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
उन्होंने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सैनिकों के सम्मान में घोषणाएं करते हैं, वहीं जब एक सैनिक के परिवार को इलाज नहीं मिलता, तो यह दिखाता है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है।
स्वास्थ्य नहीं, खनन-आबकारी में व्यस्त सरकार
माहरा ने आरोप लगाया कि सरकार ने जनता की मूलभूत जरूरतें – शिक्षा और स्वास्थ्य – को नजरअंदाज कर सारा ध्यान आबकारी और खनन जैसे मुनाफे वाले क्षेत्रों में लगा रखा है। उन्होंने कहा कि खासकर पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से पीपीपी मॉडल के भरोसे छोड़ दी गई हैं, जिससे आम जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
विधानसभा में उठेगा मामला
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी इस अमानवीय घटना को यूं ही नहीं जाने देगी। आने वाले विधानसभा सत्र में कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा करेगी और जनस्वास्थ्य को लेकर जवाब मांगेगी।
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