शेख़ हसीना बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे बांलादेशे 9वीं राष्ट्रीय संसद के सरकारी पक्ष की प्रधान एवं बांग्लादेश अवामी लीग की नेत्री हैं। वे बांलादेश के महान स्वाधीनता संग्राम के प्रधान नेता तथा बांग्लादेश सरकार के प्रथम राष्ट्रपति राष्ट्रीय जनक बंगबन्धु शेख मुजीबुर्रहमान की पुत्री हैं। बांग्लादेश में जनता के विद्रोह के बाद उन्होंने 05 अगस्त 2024 को इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ कर दूसरे देश में शरण लेने निकल गयी।
उनके पिता, माँ और तीन भाई 1975 के तख्तापलट में मारे गए थे। उस हादसे के बाद भी उन्हें राजनीतिक सफलता आसानी से नहीं मिली। उन्होंने 80 के दशक में बांग्लादेश में जनरल इरशाद के सैनिक शासन के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी, उसके दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। जनरल इरशाद के बाद भी उन्हें जनरल की पत्नी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की खालिदा जिया से कड़ी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कड़वी और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।
1996 में शेख हसीना ने चुनाव जीता और कई वर्षो तक देश का शासन चलाया। उसके बाद उन्हें विपक्ष में भी बैठना पड़ा। उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन पर एक बार जान लेवा हमला भी हुआ जिसमें वे बाल बाल बच गईं लेकिन उस हमले में २० से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई। एक बार फिर बांग्लादेश राजनीति के गहरे भँवर में फंस गया और देश की बागडोर सेना-समर्थित सरकार ने संभाल ली। इस सरकार ने शेख हसीना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और उनका ज्यादातर वक्त हिरासत में ही गुज़रा। इस बीच वे अपने इलाज के लिए अमरीका भी गईं और ये अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि वे जेल से बचने के लिए शायद वापस लौट कर ही ना आएँ। लेकिन वे वापस लौटीं और दो साल के सैनिक शासन समेत सात साल बाद २००८ में हुए संसदीय चुनावों में विजय प्राप्त की।

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