तिरुवनंतपुरम. ब्रिटिश सशस्त्र बलों का अत्याधुनिक F-35B लाइटनिंग II फाइटर जेट, जो दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में गिना जाता है, पिछले 20 दिनों से दक्षिण भारत के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर खड़ा है।
यह विमान 14 जून को इंडियन ओशन में गश्त के दौरान खराब मौसम के चलते तिरुवनंतपुरम में आपात लैंडिंग करने को मजबूर हुआ था। यह जेट रॉयल नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर HMS Prince of Wales से उड़ान भर रहा था।
गौरतलब है कि 2019 में कमीशन होने के बाद से HMS Prince of Wales लगातार तकनीकी और परिचालन समस्याओं से जूझता रहा है। वर्तमान में भारतीय महासागर में इसकी तैनाती को पश्चिमी और इजराइली सैन्य गतिविधियों के साथ समन्वय का हिस्सा माना जा रहा था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपस्थिति ईरान को अमेरिकी और इजराइली हमलों के जवाब में और अधिक आक्रामक कदम उठाने से रोकने की रणनीति का हिस्सा थी।
तिरुवनंतपुरम में खड़ा खराब विमान
3 जुलाई को ब्रिटिश सशस्त्र बलों ने पुष्टि की कि विमान की मरम्मत अब स्थानीय स्तर पर संभव नहीं है। इसके बाद विकल्प के तौर पर विमान को आंशिक रूप से खोलकर, उसके पुर्जों को सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए ब्रिटेन भेजने पर विचार किया जा रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि अत्याधुनिक फाइटर जेट भी आपात स्थितियों में कितने संवेदनशील होते हैं, और उन्हें दूरदराज के इलाकों में सपोर्ट देने में कितनी जटिलताएं आती हैं।
वहीं, इस घटना ने तिरुवनंतपुरम और भारत के रणनीतिक महत्व को भी उजागर किया है, जहां पश्चिमी देशों के सैन्य अभियानों के दौरान आपात स्थिति में सुरक्षित ठिकाने के रूप में भारत को देखा जाता है।
फिलहाल, यह देखना बाकी है कि विमान को कब और किस प्रक्रिया से ब्रिटेन वापस लाया जाएगा। इस घटना पर रक्षा विशेषज्ञ और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजर बनी हुई है

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