उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले से पंचायत चुनावों को मिली हरी झंडी, राजनीतिक हलचल तेज

देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद राज्य की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर लंबे समय से चली आ रही अस्थायी रोक अब हट चुकी है। इससे चुनाव प्रक्रिया ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है और गांव-गांव में चुनावी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं।

हाईकोर्ट के फैसले से पंचायत चुनावों से जुड़े तमाम प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को उम्मीद की एक नई किरण मिली है। खासतौर पर वे वर्ग जो वर्षों से पंचायत राजनीति में हाशिए पर थे, अब न्यायपालिका के इस हस्तक्षेप को एक बड़ा अवसर मान रहे हैं।

सरकार की तरफ से कोर्ट में तर्क

महाधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार की ओर से कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना आवश्यक था। सरकार का तर्क था कि आरक्षण व्यवस्था में संतुलन बनाए रखने और न्यायसंगत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया।

याचिकाकर्ताओं की आपत्तियां

हालांकि याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय की भावना के भी खिलाफ है। उन्होंने विशेष रूप से ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों में आरक्षण तय न करने पर आपत्ति जताई। कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि यदि चुनाव प्रक्रिया एक समान तरीके से होती है तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आरक्षण तय क्यों नहीं किया गया?

आरक्षण में असंतुलन के आरोप

देहरादून के डोईवाला ब्लॉक का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वहां ग्राम प्रधान की 63% सीटें आरक्षित हैं, जिससे स्पष्ट असंतुलन और अनुचित वर्ग विभाजन का संकेत मिलता है। कोर्ट को अवगत कराया गया कि कुछ सीटों पर लगातार एक ही वर्ग का दबदबा बना हुआ है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट का फैसला और निर्देश

27 जून को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने रोक को तत्काल प्रभाव से हटाते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए कि तीन दिनों में संशोधित चुनाव कार्यक्रम जारी किया जाए। साथ ही, सरकार को निर्देशित किया गया कि तीन सप्ताह में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *